(अज़ाम अबीदोव की कविता अ रीडिंग वुमन का हिंदी अनुवाद )
मूल कवि : अज़ाम अबीदोव
काव्यानुवादक रवीन्द्र प्रताप सिंह
बुढ़िया बैठी पढ़ती दिखती
झुग्गी बस्ती में बैठी वो
कूड़े करकट में औरत
कूड़े कबाड़ की वो सौदागर
देखो लेकिन बैठी पढ़ती !
बोझिल है कितना अँधियारा
फीके प्रकाश में टिम -टिम डेरा
बुझती लौ में अटकी फिर भी
बुढ़िया बैठी, पढ़ती दिखती
जीवन की झरती आशायें
उस जीवन की
फिर भी !
बुढ़िया पढ़ती-आती ख्वाबों में !
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https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/professor-ravindra-pratap-singh-hindi-translation-of-azam-abidovs-poem-a-reading-woman?fbclid=IwAR14q-DqRmWgjelkH0nfZJXOW_AxR22h9r7Ja9iFqdsnTJra9Afmng3Od0U
(अज़ाम अबीदोव की कविता “इनट्रीटी” का हिंदी अनुवाद )
मूल कवि : अज़ाम अबीदोव
काव्यानुवादक रवीन्द्र प्रताप सिंह
विनती
चलो उदास है भाग्य
चलो कुशल खोजी बनते
चलते रहते मददगार बन
मालूम है –
नहीं मिलेगा खुश खुश सब कुछ ।
कौन करेगा संशोधित
माथे पर जो लिख बैठा है ।
बनो कुशल अन्वेषक, मेरे उजड़े भाग्य !
सूनी नज़रों को फैलाओ
दिल को चलो दुआयें देते
बुझने से फैले मत देखो
मेरी ठोकर को !
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